Family: तलाक के बाद बच्चों की परवरिश के सुझाव

तलाक का असर बच्चों पर हो सकता है। माँ- बाप का अलग होना बच्चों को बहुत ज़्यादा इमोशनली कमज़ोर कर सकता है। उनमें रिश्तों को लेकर समस्याएं पैदा कर सकता है।

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Kavya Gupta
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(Image Source: freepik)

7 Parenting Tips After Divorce: माता-पिता के अलग होने के बाद भी उन्हें बच्चों की परवरिश करने का सही तरीका ढूंढना चाहिए। बच्चों के लिए बेशक यह जीवन में नए तरह के रिश्तों का सामना करने का समय हो सकता है, लेकिन इसमें माता-पिता का बच्चों के प्रति सपोर्ट उन्हें एक शांत माहोल देने का मौका भी हो सकता है। वे बच्चों को अच्छी परवरिश के साथ सही गाइडेंस और उनके लिए प्रेरणा के स्रोत बन सकते हैं। इससे बच्चों को बेहतर जिंदगी का अनुभव करने में मदद मिलती है।

तलाक के बाद बच्चों की परवरिश के सुझाव

1. आपके बच्चों की ज़रूरतें सबसे पहले आती हैं

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तलाक के बाद,  बच्चों को खास ध्यान देना आवश्यक होता है। उन्हें महसूस करवाना चाहिए कि वे माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनका ख्याल रखना पेरेंट्स को जिम्मेदारी है। इसके अलावा, बच्चों को सही मार्गदर्शन, स्नेह, और समर्थन प्रदान करके उनके साथ संबंध बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे वे स्वस्थ और सकारात्मक विकास कर सकते हैं।

2. बात चीत बंद न करे

तलाक के बाद भी पेरेंटिंग में आपस में बातचीत करना बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही बच्चों के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण है कि उनके माता-पिता एक-दूसरे के साथ सहयोग करें और साथ मिलकर उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करें। इससे बच्चे स्थिरता और सुरक्षा का अहसास करते हैं और उनका भविष्य सुरक्षित महसूस होता है। साथ ही, उन्हें अपने माता-पिता के बीच में एक अच्छा बैलेंस देखने को मिलता है। 

3. परवरिश में कोई अंतर न हो

बच्चों के लिए अच्छी परवरिश करना आवश्यक होता है, और यह उनके भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्हें एक ऐसे माहौल में रहने का अधिकार होना चाहिए जहां वे स्नेह का अनुभव कर सकें। इसके अलावा, बच्चों को एक जैसे नियम और मानदंडों के अनुसार रखना भी महत्वपूर्ण है। यह उन्हें जीवन जीने के नियम सीखते है जो उनके सामाजिक और आत्मिक  विकास के लिए आवश्यक है। इससे बच्चों को यह भावना होती है कि उनके माता-पिता उन्हें साथ में रहने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।

4. बड़े फैसले मिलकर ले

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तलाक के बाद भी पेरेंटिंग में बच्चों के जुड़े बड़े फैसले मिलकर लेना अच्छा है। बच्चों के जुड़े बड़े फैसले जैसे उनकी पढ़ाई, ट्रिप्स पर जाना या करियर को चुनने आदि जैसी बातों में पेरेंट्स को एक राय रखनी बहुत जरूरी है। इससे बच्चो में एक डिसिप्लिन रहता है जिससे उनके विकास में सकारात्मक प्रभाव होता है और वे अपने जीवन के अहम फैसलों को सही तरीके से लेने में साहसी होते हैं। 

5. बच्चो से रेगुलर मिलते रहे

बच्चों से मिलने के प्लान को न बदलना बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर तलाक के बाद। यह उन्हें खुशी का अहसास दिलाता है और उनकी मानसिक स्थिति को सुधारता है। तलाक के बाद अकसर बच्चे अपने माता पिता को बहुत मिस करते है। इसके लिए पेरेंट्स को एक ऐसा टाइम टेबल बनने की जरूरत होती जिसमे वे बच्चो को भी समय दे पाए। इसीलिए बच्चों से मिलने के प्लान को स्थिर रखने का प्रयास करें और उनकी समझ और सुधार के लिए समय निकालें।

6. बुराई न करे

बच्चों के सामने माता-पिता के बारे में  बुराई करना उन्हें आत्मिक रूप से पीड़ित कर सकता है और उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, बच्चों के साथ पेरेंटिंग करते समय, सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें सही और सकारात्मक उदाहरण प्रदान करना जरूरी है ताकि वे भविष्य में भी सही दिशा में चल सकें।

7. बच्चो के ऊपर ने रिश्ते न थोपे

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बच्चो को अपने करेंट पार्टनर से मेल- जोल बढाने के लिए कभी फोर्स न करे। उन्हे समय दे ताकि वे आपकी स्तिथि को समझ पाए और उसके बाद नए रिश्तों को ओर कदम बढ़ाए।

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